किरायदारों को मिल गए 6 कानूनी अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमानी tenants rights

tenants rights:आज के दौर में किराए पर रहना एक आम बात है, लेकिन कई बार किरायेदारों को मकान मालिक की मनमानी और अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है। हालांकि, अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि कानून ने किरायेदारों को कई मजबूत अधिकार दिए हैं, जिनके सहारे वे अपनी सुरक्षा कर सकते हैं और कानूनी रूप से खुद को मजबूत बना सकते हैं। आइए जानते हैं किरायेदारों के 6 सबसे अहम कानूनी अधिकार।

1. अनुचित निकासी से सुरक्षा का अधिकार

किरायेदार को बिना ठोस कारण के मकान से निकाला नहीं जा सकता। अगर किरायेदार किराया लगातार दो महीने नहीं देता, या संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तभी मकान मालिक उसे निकाल सकता है। इसके लिए भी कम से कम 15 दिन का लिखित नोटिस देना अनिवार्य है। यह नियम किरायेदार को अचानक बेघर होने से बचाता है और उसे समय देता है कि वह वैकल्पिक व्यवस्था कर सके।

2. बुनियादी सुविधाएं मिलना जरूरी

मकान मालिक बिजली, पानी, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं बंद नहीं कर सकता। यह किरायेदार का कानूनी अधिकार है कि उसे इन सुविधाओं से वंचित न किया जाए। यदि मकान मालिक ऐसा करता है, तो किरायेदार स्थानीय अथॉरिटी या उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकता है।

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3. किराया वृद्धि पर नियंत्रण

मकान मालिक किराए को मनमाने तरीके से नहीं बढ़ा सकता। इसके लिए तय प्रक्रिया है। किराया बढ़ाने से पहले मकान मालिक को कम से कम 3 महीने पहले नोटिस देना होगा। किराए और उसकी शर्तों को लेकर रेंट एग्रीमेंट में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए, जिससे बाद में कोई विवाद न हो।

4. परिवार को सुरक्षा का अधिकार

अगर किरायेदार की मृत्यु हो जाती है, तो मकान मालिक उसके परिवार को तुरंत घर से बाहर नहीं निकाल सकता। इस स्थिति में, मकान मालिक को परिवार के साथ एक नया अनुबंध करना होगा ताकि उन्हें रहने के लिए समय मिल सके और वे वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें।

5. सिक्योरिटी राशि और रखरखाव के नियम

मकान की मरम्मत और देखभाल की जिम्मेदारी मुख्य रूप से मकान मालिक की होती है। वह इसका खर्च किरायेदार पर नहीं डाल सकता। अगर किरायेदार को कोई जरूरी मरम्मत करनी पड़ी, तो वह उसे किराए से समायोजित कर सकता है। साथ ही, सिक्योरिटी डिपॉजिट मकान खाली करने के 30 दिनों के भीतर वापस करना अनिवार्य है।

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6. निजता का अधिकार (Right to Privacy)

किरायेदार की निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। मकान मालिक बिना अनुमति किरायेदार के घर में प्रवेश नहीं कर सकता। यदि ऐसा होता है, तो यह एक कानूनी अपराध माना जा सकता है। यह प्रावधान किरायेदार को मानसिक और व्यक्तिगत सुरक्षा का अहसास कराता है।

सुझाव और सावधानियां

किरायेदारों को अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। कानून ने उन्हें स्पष्ट सुरक्षा दी है जिससे वे मकान मालिक की मनमानी का शिकार न हों। यदि सभी किरायेदार इन नियमों का पालन करें और अपनी जानकारी बढ़ाएं, तो वे बिना डर के एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं।

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