Property Document:जब भी हम कोई जमीन या मकान खरीदते हैं, तो हम मान लेते हैं कि रजिस्ट्री हो जाने के बाद अब वह प्रॉपर्टी हमारी हो गई। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है? नहीं! केवल रजिस्ट्री करवा लेने से आप पूरी तरह से प्रॉपर्टी के मालिक नहीं बनते। इसके लिए एक और जरूरी प्रक्रिया होती है जिसे म्यूटेशन (Mutation) कहते हैं। आइए जानते हैं म्यूटेशन क्या है, क्यों जरूरी है और इसे कैसे करवाएं।
रजिस्ट्री क्या है और क्यों जरूरी है?
भारत में प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने की प्रक्रिया भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1908 के अंतर्गत आती है। यदि किसी संपत्ति का मूल्य ₹100 से अधिक है तो उसकी रजिस्ट्री (Registry) करवाना अनिवार्य है। रजिस्ट्री का मतलब है कि आपने कानूनी रूप से वह संपत्ति खरीद ली है और अब वह आपके नाम पर दर्ज हो गई है। लेकिन यह प्रक्रिया सिर्फ संपत्ति खरीदने का कानूनी प्रमाण देती है, यह सरकारी रिकॉर्ड में नाम बदलने की गारंटी नहीं देती।
म्यूटेशन क्या होता है?
म्यूटेशन या नामांतरण का मतलब है कि प्रॉपर्टी के नए मालिक का नाम राजस्व रिकॉर्ड या नगर निगम के दस्तावेजों में दर्ज कराना। जब आप रजिस्ट्री करवाते हैं, तो प्रॉपर्टी का मालिकाना हक कानूनी तौर पर आपके पास आ जाता है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में नाम बदलवाना जरूरी होता है ताकि भविष्य में टैक्स भुगतान, सरकारी योजनाओं या विवादों में कोई परेशानी न हो।
म्यूटेशन क्यों है जरूरी?
अगर आपने म्यूटेशन नहीं करवाया, तो आपको कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
प्रॉपर्टी टैक्स अभी भी पुराने मालिक के नाम पर आएगा।
प्रॉपर्टी को दोबारा बेचना मुश्किल हो सकता है।
पुराने मालिक पर चल रहे कानूनी विवाद आपके खिलाफ भी आ सकते हैं।
सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।
भविष्य में कोई भी आपके मालिकाना हक पर सवाल उठा सकता है।
इसलिए, रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन करवाना बेहद जरूरी है।
म्यूटेशन की प्रक्रिया कैसे होती है?
म्यूटेशन करवाने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स अपनाएं:
स्थानीय नगर निगम या राजस्व कार्यालय में जाएं।
म्यूटेशन के लिए आवेदन पत्र भरें।
जरूरी दस्तावेज संलग्न करें:
रजिस्ट्री की कॉपी
बिक्री अनुबंध (Sale Deed)
स्टांप ड्यूटी का प्रमाण
आधार कार्ड, पैन कार्ड
बिजली/पानी का बिल (अगर उपलब्ध हो)
अधिकारी दस्तावेजों की जांच और सत्यापन करते हैं।
सत्यापन के बाद सरकारी रिकॉर्ड में नाम अपडेट कर दिया जाता है।
रजिस्ट्री और म्यूटेशन में क्या अंतर है?
प्रक्रिया | उद्देश्य | कानूनी स्थिति |
---|---|---|
रजिस्ट्री | संपत्ति का ट्रांसफर और दस्तावेज़ीकरण | संपत्ति खरीदने का कानूनी प्रमाण |
म्यूटेशन | सरकारी रिकॉर्ड में नामांतरण | सरकारी स्वामित्व की मान्यता |
प्रॉपर्टी खरीदते समय बरतें ये सावधानियां
प्रॉपर्टी के सभी कानूनी कागजातों की अच्छी तरह जांच करें।
यह सुनिश्चित करें कि उस पर कोई लोन या कानूनी विवाद न हो।
रजिस्ट्री के तुरंत बाद म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू करें।
सभी दस्तावेजों की कॉपी सुरक्षित रखें।
आवश्यकता पड़ने पर किसी कानूनी विशेषज्ञ की मदद लें।
रजिस्ट्री के बाद अगर आप म्यूटेशन नहीं करवाते हैं तो आप सरकारी रिकॉर्ड में उस संपत्ति के मालिक नहीं माने जाते। इसका मतलब है कि भविष्य में आपको कानूनी या प्रशासनिक समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, अपनी मेहनत की कमाई से खरीदी गई संपत्ति पर पूरा अधिकार पाने के लिए म्यूटेशन कराना बेहद जरूरी है। यह एक छोटा सा कदम है जो भविष्य में बड़ी परेशानियों से बचा सकता है।