Gratuity Rule:ग्रेच्युटी एक कानूनी लाभ है जो कंपनी द्वारा कर्मचारियों को लंबे समय तक सेवा देने के बदले प्रदान किया जाता है। यह कर्मचारियों की निष्ठा और स्थिरता के लिए एक प्रकार का प्रोत्साहन है। जब कोई कर्मचारी रिटायर होता है, नौकरी छोड़ता है या किसी अन्य कारण से कार्य से अलग होता है, तब उसे ग्रेच्युटी दी जाती है।
ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए जरूरी शर्तें
भारतीय श्रम कानून के अनुसार, ग्रेच्युटी पाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 5 वर्ष तक एक ही कंपनी में लगातार कार्य करना आवश्यक है। यह नियम सरकारी व निजी दोनों क्षेत्रों पर लागू होता है। यदि कोई कर्मचारी 5 साल की सेवा पूरी नहीं करता, तो वह ग्रेच्युटी के लिए पात्र नहीं माना जाता।
समय की गणना कैसे होती है?
ग्रेच्युटी में सेवा अवधि की गणना बेहद महत्वपूर्ण होती है। यदि किसी कर्मचारी ने 4 साल 11 महीने कार्य किया है, तो वह ग्रेच्युटी का हकदार नहीं होता। लेकिन यदि कार्यकाल 4 साल 8 महीने या उससे अधिक है, तो कुछ मामलों में इसे 5 वर्ष मानकर ग्रेच्युटी दी जा सकती है। हालाँकि यह नियम कंपनी की नीति और न्यायालय के आदेशों पर निर्भर करता है।
ग्रेच्युटी की गणना का फॉर्मूला
ग्रेच्युटी की राशि निकालने के लिए यह फॉर्मूला अपनाया जाता है:
ग्रेच्युटी = (अंतिम बेसिक वेतन × 15 × सेवा के वर्ष) ÷ 26
यहाँ:
15 = एक महीने में औसतन काम करने के दिन
26 = एक महीने के कुल कार्य दिवस
सेवा के वर्ष = कर्मचारी द्वारा पूरी की गई सेवा की कुल अवधि
उदाहरण: यदि किसी कर्मचारी का बेसिक वेतन ₹30,000 है और उसने 10 साल सेवा की है, तो:
(30,000 × 15 × 10) ÷ 26 = ₹1,73,077 (लगभग)
किन परिस्थितियों में मिलती है ग्रेच्युटी?
ग्रेच्युटी निम्नलिखित परिस्थितियों में दी जाती है:
सेवानिवृत्ति पर
स्वेच्छा से नौकरी छोड़ने पर (यदि 5 साल पूरे हुए हों)
मृत्यु अथवा दुर्घटना के कारण सेवा समाप्त होने पर (5 साल की शर्त लागू नहीं होती)
स्थायी अपंगता की स्थिति में
लेकिन अगर कर्मचारी को अनुशासनहीनता या किसी गंभीर कारण से निकाला जाता है, तो कंपनी ग्रेच्युटी नहीं दे सकती।
अधिकतम सीमा और कर नियम
वर्तमान में ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा ₹20 लाख तय की गई है। यदि किसी कर्मचारी को इससे अधिक राशि मिलती है, तो अतिरिक्त राशि पर आयकर लागू हो सकता है। कुछ मामलों में टैक्स छूट भी मिलती है, जिसके लिए सलाहकार से राय लेना उचित होगा।
भविष्य में होने वाले संभावित बदलाव
आठवां वेतन आयोग, जो 2026 से लागू होने वाला है, और नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (2025) जैसे बदलाव ग्रेच्युटी के नियमों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए कर्मचारियों को अपने HR विभाग से जुड़े रहना चाहिए और समय-समय पर अपडेट लेते रहना चाहिए। भविष्य में ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ने की भी संभावना है।
कर्मचारी के अधिकार और सजगता
ग्रेच्युटी कर्मचारी का कानूनी अधिकार है। यदि कंपनी ग्रेच्युटी देने से इनकार करती है, तो कर्मचारी श्रम अदालत या उपयुक्त प्राधिकरण में शिकायत कर सकता है। सभी कर्मचारियों को अपने सेवा रिकॉर्ड, नियुक्ति पत्र और वेतन पर्ची की प्रतिलिपि सुरक्षित रखनी चाहिए।
ग्रेच्युटी न केवल आर्थिक सहायता का माध्यम है बल्कि कर्मचारी की सेवा और निष्ठा का सम्मान भी है। इस लाभ को पाने के लिए नियमों को समझना, सेवा की अवधि पूरी करना और सही जानकारी रखना आवश्यक है। यदि आप एक कर्मचारी हैं और पांच साल या उससे अधिक सेवा पूरी कर चुके हैं, तो अपने ग्रेच्युटी लाभ का सही मूल्यांकन जरूर करवाएं।