Contract Employees Regularization News:अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) पर काम करता है, तो यह खबर आपके लिए बेहद खास है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कुछ संविदा कर्मचारियों को नियमित (स्थायी) करने का आदेश दिया है। यह फैसला लाखों संविदा कर्मचारियों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।
क्या था पूरा मामला?
बेंगलुरु नगर निगम में भगवान दास नाम के व्यक्ति समेत 15 अन्य संविदा कर्मचारी पिछले 1996 से वाल्वमैन और पंप ऑपरेटर के रूप में काम कर रहे थे। पहले ये सभी सीधे ठेके पर थे और बाद में आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से सेवाएं दे रहे थे।
2006 में ठेका प्रणाली को समाप्त कर दिया गया, लेकिन फिर भी इनकी नौकरी आउटसोर्स एजेंसी के ज़रिए चलती रही। 2016 में 79 कर्मचारियों को नियमित किया गया लेकिन इन 16 लोगों को छोड़ दिया गया। जब बार-बार अपील पर सुनवाई नहीं हुई, तो मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति एस. सुनील दत्त यादव ने यह स्पष्ट कहा कि:
याचिकाकर्ता 10 साल से ज्यादा समय से लगातार काम कर रहे हैं।
ये कर्मचारी स्वीकृत सरकारी पदों पर काम कर रहे थे।
उन्हें सिर्फ इसलिए नियमित नहीं किया गया क्योंकि नियुक्ति ठेके के माध्यम से हुई थी।
कोर्ट ने यह फैसला दिया कि यदि कोई कर्मचारी लगातार 10 साल तक सेवा दे रहा है, तो वह नियमित नौकरी का हकदार है। उसे नौकरी की स्थिरता, रिटायरमेंट फायदे और सामाजिक सुरक्षा मिलनी चाहिए।
सरकार का तर्क और कोर्ट की प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से कहा गया कि ये कर्मचारी सीधी भर्ती के जरिए नहीं आए थे, बल्कि ठेकेदार के माध्यम से काम कर रहे थे, इसलिए सरकार पर कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।
लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि अगर सरकार खुद सीधी भर्ती नहीं कर रही और आउटसोर्स के जरिए काम ले रही है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की ही बनती है।
क्या सभी संविदा कर्मचारियों को फायदा होगा?
फिलहाल यह आदेश सिर्फ 16 याचिकाकर्ताओं के लिए लागू हुआ है, लेकिन यह एक न्यायिक मिसाल बन सकता है। भारत के अन्य राज्यों के संविदा कर्मचारी भी अब इसी आधार पर अपने अधिकारों के लिए कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
नियमितीकरण की जरूरी शर्तें
हर संविदा कर्मचारी को तुरंत स्थायी नौकरी नहीं मिल सकती। इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें होंगी:
कर्मचारी ने लगातार 10 साल सेवा दी हो।
वह किसी स्वीकृत पद पर कार्य कर रहा हो।
सरकारी विभाग में आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से सेवा दी हो।
नियमित होने के फायदे
जब कोई संविदा कर्मचारी स्थायी बनता है, तो उसे केवल नौकरी की गारंटी नहीं मिलती, बल्कि कई आर्थिक और सामाजिक लाभ भी मिलते हैं:
पेंशन, ग्रेच्युटी और रिटायरमेंट फायदे
स्वास्थ्य बीमा और अन्य सरकारी सुविधाएं
परिवार के लिए भविष्य में स्थायित्व और सुरक्षा
आत्म-सम्मान और सामाजिक स्थिति में सुधार
क्या अन्य राज्य भी अपनाएंगे यह मॉडल?
हालांकि यह फैसला केवल कर्नाटक हाईकोर्ट का है, लेकिन इसे अन्य राज्यों में मिसाल के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यूपी, बिहार, एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों के कर्मचारी अब इस आधार पर अपनी याचिकाएं दायर कर सकते हैं।
संविदा कर्मचारी आगे क्या करें?
अगर आप संविदा पर काम कर रहे हैं और आपको लगता है कि आप इस फैसले के योग्य हैं, तो:
अपनी सेवा से जुड़े सभी दस्तावेज़ संभाल कर रखें।
RTI के माध्यम से जानकारी जुटाएं।
कर्मचारी यूनियन या वकील से संपर्क करें।
जरूरत पड़ने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करें।
कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फैसला संविदा कर्मचारियों के लिए सिर्फ कानूनी जीत नहीं, बल्कि सम्मान की बहाली है। दशकों तक सेवा देने के बाद अब उन्हें भी स्थायित्व और सुरक्षा का अधिकार मिल रहा है। बाकी राज्यों की सरकारों को भी चाहिए कि वे इस फैसले से प्रेरणा लें और अपने संविदा कर्मचारियों को उनका हक दें