Cheque Bounce Rule:आज के समय में चेक से लेन-देन करना एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है। लेकिन अगर आप भी किसी को चेक देकर भूल जाते हैं या सोचते हैं कि “बाद में देख लेंगे”, तो अब यह गलती आपको भारी पड़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों पर सख्त रवैया अपनाया है और इसके लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
क्या होता है चेक बाउंस?
जब कोई व्यक्ति किसी को भुगतान करने के लिए चेक देता है, और वह चेक बैंक में जमा करने के बाद क्लियर नहीं होता, तो उसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं:
खाते में पैसे न होना
गलत सिग्नेचर
ओवरराइटिंग या कटिंग
चेक की एक्सपायरी
जानबूझकर स्टॉप पेमेंट
खाता बंद होना
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि अब चेक बाउंस को हल्के में नहीं लिया जाएगा। कोर्ट ने कुछ सख्त निर्देश जारी किए हैं:
तेजी से सुनवाई होगी: अब सालों तक मुकदमा नहीं चलेगा। जल्द से जल्द फैसला किया जाएगा।
सीधी सजा: अगर आरोप सिद्ध हो जाता है, तो आरोपी को जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
ऑनलाइन सुनवाई की सुविधा: अब गवाहों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुना जा सकेगा।
समझौते की छूट: दोनों पक्ष चाहें तो कोर्ट के अंदर तय समय में समझौता कर सकते हैं।
कानून क्या कहता है?
भारतीय कानून के अनुसार, चेक बाउंस एक आपराधिक अपराध है। इसे Negotiable Instruments Act की धारा 138 के तहत दर्ज किया जाता है। इसके तहत:
आरोपी को 2 साल तक की जेल हो सकती है
या चेक राशि का दोगुना जुर्माना
या दोनों सजाएं एक साथ
चेक बाउंस होने के बाद, 30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को नोटिस भेजना होता है। यदि 15 दिनों के अंदर भुगतान नहीं किया गया, तो केस दर्ज किया जा सकता है।
चेक बाउंस होने पर आरोपी क्या कर सकता है?
अगर किसी का चेक बाउंस हो गया है, तो वह निम्न उपाय कर सकता है:
समय रहते सेटलमेंट करें
बैंक स्टेटमेंट और अन्य दस्तावेज पेश करें
अगर तकनीकी या बैंक की गलती हो तो उचित सफाई दें
कानूनी सलाह लेकर कोर्ट में सही पक्ष रखें
आम लोगों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
चेक देने से पहले सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त बैलेंस हो
सही सिग्नेचर और तारीख डालें
किसी को चेक देने से पहले उसकी फोटोकॉपी अपने पास रखें
अगर चेक बाउंस हो जाए तो तुरंत कानूनी सलाह लें
जहां संभव हो, डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दें
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर
अब वह समय चला गया जब चेक बाउंस के मामलों में सालों लगते थे। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद, अब ऐसे मामलों में न तो ढिलाई बरती जाएगी और न ही देरी होगी। यह निर्णय लेन-देन की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने में मदद करेगा। साथ ही, यह उन लोगों के लिए चेतावनी है जो जानबूझकर पेमेंट टालते हैं या धोखा देते हैं।
चेक अब सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं रहा – यह एक कानूनी दस्तावेज है। अगर आपने किसी को चेक दिया है, तो उसे समय पर क्लियर कराना आपकी जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आम लोगों के लिए एक मजबूत संदेश है – लापरवाही अब माफ नहीं की जाएगी। चेक देने से पहले सोच-समझकर फैसला लें, क्योंकि एक छोटी सी गलती आपको जेल तक पहुंचा सकती है।