चेक बाउंस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – जानें क्या कहता है नया कानून Cheque Bounce Rule

Cheque Bounce Rule:अगर आप व्यापार, लेन-देन या किराएदारी में चेक का इस्तेमाल करते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस से जुड़ी शिकायतों को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अब चेक बाउंस के मामलों में सीधे जेल भेजने की प्रक्रिया खत्म कर दी गई है। आरोपी को पहले सफाई देने और सुधार का मौका दिया जाएगा। आइए जानते हैं इस नए फैसले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण नियम।

 क्या होता है चेक बाउंस?

जब कोई व्यक्ति किसी को चेक देता है और उसके खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं होता, तो वह चेक “बाउंस” हो जाता है। इसके अन्य कारणों में गलत हस्ताक्षर, ओवरराइटिंग, या चेक की एक्सपायरी भी हो सकती है। ऐसे मामलों में पहले बहुत जल्द मुकदमा और सजा की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी, लेकिन अब यह नियम बदल दिया गया है।

 क्या अब चेक बाउंस पर जेल नहीं होगी?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ चेक बाउंस होने पर अब आरोपी को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा। पहले उसे कानूनी नोटिस भेजा जाएगा, जिससे उसे मामला सुलझाने का मौका मिलेगा। अगर आरोपी तय समय पर रकम चुका देता है, तो मामला यहीं खत्म हो सकता है। इस फैसले से उन लोगों को राहत मिलेगी जो अनजाने में या गलती से चेक बाउंस करवा बैठते हैं।

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 कौन-कौन से कानून लागू होते हैं?

भारत में चेक बाउंस के मामलों को Negotiable Instruments Act, 1881 की धारा 138, 139 और 142 के तहत देखा जाता है। अगर कोर्ट में दोष साबित हो जाता है, तो:

लेकिन अंतिम फैसला आने से पहले गिरफ्तारी जरूरी नहीं है।

 क्या यह अपराध जमानती है?

हां, चेक बाउंस अब एक जमानती अपराध है। यानी अगर आपके खिलाफ केस दर्ज होता है, तो आपको सीधे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। आप कोर्ट में पेश होकर जमानत ले सकते हैं और अपनी सफाई दे सकते हैं।

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 क्या होता है अंतरिम मुआवजा?

2019 में कानून में एक बदलाव किया गया, जिसके तहत कोर्ट आरोपी से शिकायतकर्ता को 20% तक की राशि का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दे सकता है। अगर आरोपी केस जीत जाता है, तो यह राशि उसे वापस मिल सकती है। इससे शिकायतकर्ता को राहत मिलती है और आरोपी को सुधार का अवसर मिलता है।

 कोर्ट से सजा मिल जाए तो क्या करें?

अगर आपको कोर्ट से सजा मिल जाती है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप:

 चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?

 चेक भरते समय क्या सावधानियां रखें?

 किरायेदार और मकान मालिकों के लिए राहत

अब अगर कोई किरायेदार चेक से किराया देता है और वह चेक बाउंस हो जाता है, तो मकान मालिक को सीधे कोर्ट जाकर आरोपी को जेल नहीं भिजवाना पड़ेगा। पहले कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिससे न्यायिक व्यवस्था पर से लोगों का भरोसा और बढ़ेगा।

 सुप्रीम कोर्ट का संदेश

सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कहा है कि हर आर्थिक विवाद में कठोर सजा जरूरी नहीं है। अगर किसी की मंशा गलत नहीं है और वह सुधार करना चाहता है, तो उसे राहत दी जानी चाहिए। लेकिन यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर धोखाधड़ी करता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लाखों ईमानदार नागरिकों के लिए राहत लेकर आया है। अब एक छोटी सी गलती या परिस्थितिजन्य चूक के कारण किसी को जेल नहीं जाना पड़ेगा। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि कानून लापरवाह लोगों के लिए ढीला पड़ गया है। जो जानबूझकर अपराध करेंगे, उन्हें सख्त सजा जरूर मिलेगी।

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