सुप्रीम कोर्ट का किराएदारी पर ऐतिहासिक फैसला! जानिए किसे मिला मालिकाना हक Tenant Ownership Rights

Tenant Ownership Rights:भारत में किराएदारी को लेकर अक्सर विवाद सामने आते रहते हैं। कभी मकान मालिक किराया बढ़ा देता है तो कभी किराएदार मकान खाली करने से मना कर देता है। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो अब देश भर के किराएदारों और मकान मालिकों के लिए कानूनी रूप से अहम बन गया है।

 सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि किराएदारी एक संविदात्मक (Contractual) रिश्ता है। इसका मतलब यह है कि किराएदार को सिर्फ मकान के उपयोग का अधिकार है, लेकिन वो मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता। वहीं दूसरी तरफ मकान मालिक भी बिना किसी उचित कारण के किराएदार को जबरन बेदखल नहीं कर सकता।

 रजिस्टर्ड एग्रीमेंट अब अनिवार्य

इस फैसले के अनुसार अब सभी किराएदारी के मामलों में रजिस्टर्ड किरायेदारी अनुबंध (Registered Tenancy Agreement) होना अनिवार्य होगा। बिना लिखित और पंजीकृत एग्रीमेंट के:

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  • किराएदार को कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी

  • मकान मालिक भी कानूनी कार्रवाई नहीं कर पाएगा

यह बदलाव किराएदार और मकान मालिक दोनों की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

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 किराएदारों को मिले ये अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने किराएदारों के कुछ महत्वपूर्ण अधिकारों की पुष्टि की है, जो इस प्रकार हैं:

  • शांतिपूर्ण निवास का अधिकार: अगर आपने कानूनी तरीके से किराया चुकाया है, तो आपको कोई भी जबरदस्ती घर से नहीं निकाल सकता।

  • मरम्मत की मांग: यदि मकान में कोई खराबी है, तो आप मकान मालिक से मरम्मत करवाने की मांग कर सकते हैं।

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  • अनुबंध का नवीनीकरण: यदि पहले से तय किया गया हो, तो आपको एग्रीमेंट को बढ़ाने का अधिकार मिलेगा।

  • कानूनी सुरक्षा: बिना नोटिस या बिना कारण निकाला जाना अब गैरकानूनी माना जाएगा।

 मकान मालिकों को भी मिले अधिकार

सिर्फ किराएदार ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिकों के अधिकारों को भी स्पष्ट किया है:

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 क्या-क्या हुए अहम बदलाव?

इस फैसले के बाद कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं:

 कानूनी सहायता और विवाद समाधान में तेजी

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि किराए से जुड़े विवादों को तेजी से निपटाने के लिए:

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 सरकार भी लाएगी नई नीति

इस फैसले के बाद केंद्र और राज्य सरकारें अब किराएदारी कानूनों की समीक्षा करेंगी। सरकार का उद्देश्य पुराने नियमों को हटाकर नए और प्रगतिशील किराया कानून बनाना है जो दोनों पक्षों के हित में हो।

 क्या करें किराएदार और मकान मालिक?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब जरूरी है कि:

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला किराएदारी व्यवस्था को मजबूत और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इससे किराएदार और मकान मालिक दोनों के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। यह फैसला न केवल कानूनी सुरक्षा देगा, बल्कि भविष्य में होने वाले विवादों को कम करने में भी मदद करेगा।

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