New rules for savings bank:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बचत खातों से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किए हैं, जो विशेष रूप से बच्चों के बैंक खातों पर लागू होंगे। ये नए नियम 1 जुलाई 2025 से पूरे देश में लागू हो जाएंगे और इसका सीधा असर हर बैंक ग्राहक, खासकर माता-पिता और बच्चों पर पड़ेगा।
1 जुलाई 2025 से क्या होगा नया?
अब 10 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे खुद से बैंक खाता खोल सकेंगे। पहले बच्चों का खाता केवल माता-पिता की निगरानी में ही खोला जा सकता था, लेकिन नए नियमों के तहत बच्चा खुद भी खाता खोलने का निर्णय ले सकेगा। इसका उद्देश्य बच्चों में आर्थिक स्वावलंबन और वित्तीय शिक्षा की भावना विकसित करना है।
10 साल से छोटे बच्चों के लिए व्यवस्था में बदलाव नहीं
10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी। ऐसे बच्चों के खाते उनके माता-पिता या अभिभावक के नियंत्रण में ही खोले जाएंगे। इसके लिए बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र, आधार कार्ड और माता-पिता के पहचान पत्र जैसे दस्तावेज अनिवार्य होंगे। साथ ही, KYC प्रक्रिया पूरी करना भी जरूरी होगा।
ओवरड्राफ्ट सुविधा नहीं मिलेगी
RBI के नए नियमों के अनुसार, बच्चों के खातों में ओवरड्राफ्ट (Overdraft) सुविधा नहीं दी जाएगी। यानी बच्चे अपने खाते में मौजूद राशि से अधिक पैसे नहीं निकाल सकेंगे। इसका उद्देश्य बच्चों को आर्थिक अनुशासन सिखाना है ताकि वे खर्च और बचत के बीच संतुलन बना सकें।
सही बैंक का चुनाव कैसे करें?
बच्चों के लिए खाता खोलते समय यह देखना जरूरी है कि कौन-सी बैंक बेहतर सेवाएं देती है। कुछ बैंक शून्य न्यूनतम बैलेंस, कम सेवा शुल्क और आकर्षक ब्याज दर जैसी सुविधाएं देती हैं। इसके अलावा बैंक की ग्राहक सेवा, डिजिटल बैंकिंग सुविधाएं और सुरक्षा उपायों पर भी ध्यान देना चाहिए।
खाता खोलने की प्रक्रिया
आज के डिजिटल युग में बैंक खाता खोलना पहले से आसान हो गया है। आप दो तरीकों से खाता खोल सकते हैं:
ऑनलाइन: बैंक की वेबसाइट या मोबाइल ऐप से आवेदन किया जा सकता है। दस्तावेजों की डिजिटल कॉपी अपलोड करनी होती है।
ऑफलाइन: नजदीकी बैंक शाखा में जाकर आवेदन फॉर्म भरकर खाता खुलवाया जा सकता है।
दोनों ही प्रक्रियाओं में KYC अनिवार्य है।
खाता नियम और सीमाएं
हर बैंक की शर्तें अलग-अलग होती हैं। कुछ बैंक ₹10,000 से लेकर ₹1 लाख तक का न्यूनतम शेष राशि रखने की शर्त लगाते हैं। जब बच्चा 18 साल का हो जाता है, तब उसके खाते को ‘माइनर’ से ‘मेजर’ में बदलना जरूरी होता है, जिसके लिए नए दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं।
माता-पिता की जिम्मेदारी
माता-पिता को बच्चों को वित्तीय ज्ञान देने की दिशा में आगे आना चाहिए। उन्हें पासवर्ड और पिन जैसी जानकारी सुरक्षित रखने की शिक्षा देना जरूरी है। बच्चों को बचत की आदत डालना, खर्च में सावधानी बरतना और बैंक स्टेटमेंट चेक करने की आदत विकसित करना माता-पिता की भूमिका है।
डिजिटल बैंकिंग और सुरक्षा
बच्चों को मोबाइल बैंकिंग, ऑनलाइन लेन-देन और डिजिटल पेमेंट की जानकारी देना जरूरी है। साथ ही, उन्हें साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने की सावधानी भी सिखानी चाहिए। डिजिटल शिक्षा से वे सुरक्षित और स्मार्ट उपभोक्ता बन सकेंगे।
RBI के ये नए नियम बच्चों को वित्तीय दृष्टि से सक्षम बनाने के लिए उठाया गया सकारात्मक कदम है। इससे न सिर्फ बच्चों को आर्थिक आजादी मिलेगी बल्कि वे भविष्य में बेहतर वित्तीय निर्णय भी ले सकेंगे। माता-पिता को चाहिए कि वे इन बदलावों का लाभ उठाएं और अपने बच्चों को बचपन से ही वित्तीय रूप से सशक्त बनाएं।